...

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अजन्मी कन्या

क्या कसूर थी उस अजन्मे की,
जिसे तुमने गर्भ में हीं मार दिया? 
अभी तक  तो वो गर्भस्थ भी 
पूर्णतया निर्मित नही थी,
उसके हाथ,पैर,इत्यादि ही बन पाए थे
कहो ना! क्या किया था उसने?
क्या तुम्हें भी कोई अकाशवाणी हुई थी?
उस मथुरा के कंस की तरह?
उसने तो भयातुर प्रतीक्षा किया था
बहन देवकी के अष्टम गर्भ का,
कहो! तुम्हे किस आकाशवाणी ने डराया है।
किसलिए परीक्षण करते हो गर्भ का,
किसी भ्रम में पड़कर क्यों उस मोक्षदायिनी 
मार्ग से  विश्वासघात करते हो तुम,
वो कन्या ही तो है,अपने जन्म के साथ 
तुम्हे पिता और माँ होने की भान कराएगी, 
 आने दो उसे नवयुग सृजन के नव संसार मेंं,
उसके जीने की...