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विरासत
सच बोलना और.
सच सुनना हर किसी
के बस की बात नहीं हैं
लोग सच सुनना ही नहीं चाहते
क्योंकि "झूठ "की सम्पदा उन्हें विरासत में मिलती आई हैं
रिश्तो की भीड़ में हमने बहुत कुछ
सीखा हैं
उनमे कौन अपना हैं कौन पराया हैं
उसका पता हमने े रिश्तो क़ो आज़मा कर लगाया हैं
सच सुनना हर किसी
के बस की बात नहीं हैं
लोग सच सुनना ही नहीं चाहते
क्योंकि "झूठ "की सम्पदा उन्हें विरासत में मिलती आई हैं
रिश्तो की भीड़ में हमने बहुत कुछ
सीखा हैं
उनमे कौन अपना हैं कौन पराया हैं
उसका पता हमने े रिश्तो क़ो आज़मा कर लगाया हैं
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