...

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तेरे ख्यालों में ....
रजभरा अश्क मेरी , तेरे ख्यालों में
ढूंढे मुझे फिर भी सितारों में ...
धङकन हूँ तेरी, धङक रहा तुझमें
क्यों ढूंढे फिर शिलाओं में ....

महक इन फूलों की ...
खींच लाती फ़िजाओं में ।
अचल हो जब श्रद्धा तेरी,मुझमें
तो क्यों न बसूँ तेरे ख्यालों में
फिर भी ढूंढे मुझे
उन शिलाओं में ....

तूँ अंश है मेरा,मैं अश्क तेरा
महसूस कर मुझे , तत्व हू्ँ सर्वशक्तिमान मैं
पलता हूँ विचार बनकर
तेरे ख्यालो मे ...
क्यों ढूंढे मुझे फिर शिलाओं में
मैं तो रहता हूँ बस
तेरे ख्यालों में .... ॥
© ya waris