तुम लहर नहीं देह लहराती हो
तुम लहर नहीं
देह लहराती हो
आधी कि झोंका सा
शुध- बुध गमा देती हो
ख्वाब दिखा कर
आंखों को रुला देती हो
ख्यालों कि दुनिया से
दिल चुरा लेती हो
हाले दिल बुरा हाल कर
दुनिया दिखा देती हो
क्या चीज हो तुम
इसकी आभास करा देती हो
क्या कहें तुम्हें
आहें कभी भी भिगा देती हो
हंसते खेलते चेहरे को...
देह लहराती हो
आधी कि झोंका सा
शुध- बुध गमा देती हो
ख्वाब दिखा कर
आंखों को रुला देती हो
ख्यालों कि दुनिया से
दिल चुरा लेती हो
हाले दिल बुरा हाल कर
दुनिया दिखा देती हो
क्या चीज हो तुम
इसकी आभास करा देती हो
क्या कहें तुम्हें
आहें कभी भी भिगा देती हो
हंसते खेलते चेहरे को...