...

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ख़ामोशी
कभी-कभी ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहि जाती है,
कभी-कभी जुबान थम सी जाती है,
चाह कर भी ना कहा जाए जो,
खामोश निगाहे चुपके से कहि जाती है ।

दिल के जज्बात अक्सर
खामोश लफ्जों में छिपे होते है,
आवाजों मे बस तन्हाई छुपाई जाती है
झूठी कहानी बनाई जाती है ।

दिल का खालीपन और
टूटे दिल का शोर तो
खामोशी में लिपटा हुआ होता
हँसी, मुस्कान तो नकाब बन जाती है
ख़ामोशी हकीकत बन जाती है ।

© Sukhmani