...

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भावों_का_दरिया
हरेक का एक अपना,
भावनाओं का समंदर होता ही है,
जिसमें वो गोताखोर बन,
लगाता रहता है अपने,
अतीत-भविष्य के काल्पनिक गोतें,
असंमजस की भय रुपी लहरें...