...

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भावों_का_दरिया
हरेक का एक अपना,
भावनाओं का समंदर होता ही है,
जिसमें वो गोताखोर बन,
लगाता रहता है अपने,
अतीत-भविष्य के काल्पनिक गोतें,
असंमजस की भय रुपी लहरें डराती है कभी,
तो कभी आत्मविश्वास की पतवार थामें,
वो देता है सार्थक दिशा,
अपनी मन रुपी नाव को !
डूब पुनः विचारों में और बह पड़ता है,
अपने भावों के संमुदर में,
थोड़ा और... थोड़ा और... थोड़ा और.... !! 💦
©Mridula Rajpurohit ✍️
🗓️ 07 April, 2022
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