...

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ऐसी तहज़ीब में रहें हम तुम
ख़त्म आंखों से कोई ख़्वाब ना हो
ज़िंदगी इस क़दर अज़ाब ना हो

मैं मुहब्बत में कुछ सवाल करूं
और तेरे पास कुछ जवाब ना हो

इतनी काटी है इंतज़ार की रात
जिसका मुझसे कभी हिसाब ना हो

मेरी तनहाई तब चमकती है
आसमां पर जब आफताब ना हो

ऐसी तहज़ीब में रहें हम तुम
ये ताल्लुक़ कभी ख़राब ना हो

ऐसे चाहा तुझे के तेरे सिवा
मेरी खातिर कोई जनाब ना हो

याद करते रहो के खिलती रहूं
खुश्क मेरा कभी शबाब ना हो

©ananya rai parashar
© Ananya Rai Parashar