...

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"" कौन जानता है मुझे.... ? ""
" जमाना क्या ? बताएगा कि क्या हूं मैं ?
यह किसको पता है कि , रोज जलता वह
"दिया" हूं मैं .....,
मेरी "बाती "इतनी कमजोर नहीं ,कि बूझ जाए एक फूंक से..... ,
एक "खुशी" पाकर क्या ? मजा आता है ,
सुकून मिलता है हजार दुख में.... !!



मेरी जिंदगी जीने का तरीका कुछ अलग है ,
"दुख" मेरी जिंदगी है ,और मैं दुख की झलक हूं ....,
जो छोटी-सी बात पर रो जाए , वह भीगती हुई पलक हूं... ,
जमाना क्या ? जाने कि दिल में क्या ?भरा पड़ा है ....,
"होठों "पर झूठी मुस्कान है , पर आंखों में आंसू सजा रखा है .....,
इतना "गम" है मेरी जिंदगी में , जिसे दिल में दबा रखा है......!!



आंखों में आंसू है , फिर भी दिल क्यों ? झूठा मुस्कुरा रहा है..... ,
किस-किस को संभालू ? कोई मेरा अपना-ही मायूस होकर जा रहा है ..... ,
अच्छा लगता है हर दर्द को घुट-घुट कर पीने में ,
गम पर पर्दा कर रखा है , बस मजा आ रहा है जीने में.....!!

JANKI KUNWAR
31.8.22(7:24AM)
@jankikunwar23