...

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कोरोना वायरस
दौड़ा वायरस कहां - कहां ,
रोक दिया इसने ये सारा जहां ।

पानी सा बहता , महासागर से भी गहरा ,
लगा दिया इसने सारे देशों पर पहरा ।

करे कोई चर्च में प्रार्थना,करे कोई रब से विनती ,
थम जाए अब तो ये हठी वायरस की गिनती ।

नहीं रोक पाया कोई इसकी रफ्तार को ,
मगर कर रहा कोशिश बचाने अपने परिवार को ।

कभी आ ना जाएं मेरी बारी इस डर में है अब जीने की लचारी ,
रिश्तों मे नज़दिकी होकर भी हो दुरी
तभी मिट सकेगी वायरस की ये संख्या पुरी की पूरी ।

जो सेवा के खातिर दे रहे बलिदान
करो दिल खोल कर उनका सम्मान ,
आखिर वो भी है किसी वीर मां की संतान ।