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वो भी क्या दिन थे
जब घडी एक आध के पास होती थी
और समय सबके पास होता था
बोलचाल में हिंदी का प्रयोग होता था
और अंग्रेज़ी तो पीने के बाद ही बोली जाती थी
साइकिल होती थी
जो चार रोटी में चालीस का एवरेज देती थी
चिट्टी पत्री का ज़माना था
पत्रों में व्याकरण अशुध् होती थी
पर आचरण शुद्ध हुआ करते थे
शादी में घर के औरतें खाना बनाती थी
और बाहर की औरते नाचती थी
अब घर की औरते नाचती है
और बाहर की औरते खाना बनाती है
सोचो क्या खोया और क्या पाया
© Kushi2212
और समय सबके पास होता था
बोलचाल में हिंदी का प्रयोग होता था
और अंग्रेज़ी तो पीने के बाद ही बोली जाती थी
साइकिल होती थी
जो चार रोटी में चालीस का एवरेज देती थी
चिट्टी पत्री का ज़माना था
पत्रों में व्याकरण अशुध् होती थी
पर आचरण शुद्ध हुआ करते थे
शादी में घर के औरतें खाना बनाती थी
और बाहर की औरते नाचती थी
अब घर की औरते नाचती है
और बाहर की औरते खाना बनाती है
सोचो क्या खोया और क्या पाया
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