...

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स्कूल के दिन
क्लास मै आखिर मै आकर
अपने मस्तीखोर दोस्तों के साथ
आंखरी बेंच पर बैठने का मज़ा ही अलग था
वो स्कूल के दिन थे
उन्हें जीने का मज़ा ही अलग था

शरारते भी एकसाथ करते थे
और मार भी एकसाथ खाते थे
दोस्तो के साथ क्लास के बाहर खड़े रहने की
खुशी ही कुछ अलग थी...