नागपुर
मंजिल ही तो लुप्त हुई हैं
हमने कहां चलना छोड़ दिया
फासले सदियों के तय किए हैं
वे दूरियां बढ़ाते रहे, धोखे से
हमने वफा निभाई वतन से
तुमने गद्दार हमें करार दिया
हमने कहां चलना छोड़ दिया
वतन की परवाह है...
हमने कहां चलना छोड़ दिया
फासले सदियों के तय किए हैं
वे दूरियां बढ़ाते रहे, धोखे से
हमने वफा निभाई वतन से
तुमने गद्दार हमें करार दिया
हमने कहां चलना छोड़ दिया
वतन की परवाह है...