स्वर- कोकिला:लता मंगेशकर
भारत की आवाज बन ,
जिसने था सुरों को छेड़ा
शब्दों में मिठास भर
जिसने था दिलों को जोड़ा
आज वो नायिका हमें
अलविदा कह गई है
सरगम की सेज पर
वो अपनी आवाज़ में अमर हो गई है
वो अपनी आवाज़ में अमर हो गई है ।
बात करते हैं, उस शख्सियत की
जिनकी आवाज ही उनकी पहचान है
शब्दों के माध्यम से ,
जो बनी दिल की जुबान हैं
फिर बात मोहब्बत की हो
या दर्द और जोश की हो
लता जी की आवाज़ ही तो थी
जो शब्दों में एहसास के
मोती पिरोया करती थी
हृदय को सोच से, जोड़ दिया करती है।
" तीन मिनट की जादूगरनी " कह
जिन्हें उस्ताद बड़े गुलाम साहब ने था
संबोधित किया,
स्वरों की सम्राज्ञी कह,
राष्ट्र ने था सम्मानित किया ,
उनके जीवन में संघर्षो की
अपनी ही एक कहानी थी
छोटी उम्र से ही उन्होंने
देखी कई परेशानी थी
पर वो कहती थी हमेशा
" हमें जीवन में कभी हार ना माननी चाहिए
कर्म करते रहना चाहिए
एक ना एक दिन हम सफल हो ही जाएंगे " ।
संगीत उनकी पूजा थी ,
स्वरों से जुड़ी उनकी तपस्या थी
तभी किरदार और उसके भाव को
वो शब्दों में बाँध, सुरों में सांधती थी
कि भाषा भी बदली , दशक भी बदले
पर आवाज़ की खनक ना बदली
मानो उनकी नजरों ने जो समझा
वो दूसरों की नजरों से जा मिला ।
दास्ताँ हिन्द की ,
शहीदों के शहादत की
जो उनकी आवाज़ ने बयां करी
वो ना किताबें कह पाई
ना गाथाएं सुना पाई
पर उनकी आवाज ने , हर बार कही
जो दिलों तक पहुँची
जिसने ना सुनी कारगिल की कहानी
ना जानी आज़ादी के लिए, की गई कुर्बानी
उसकी आँखों में भी पानी भर गई
भारत देश को विदेशों तक
मशहूर कर गई ।
अब जब लता जी,
एक नए सफर पर बढ़ चली हैं
कहना बस इतना है
कि आप रहो ना रहो
एक आशीष था ,आपकी आवाज़ में
जो हमारे बीच में हमेशा अमर रहेगा
पीढ़ी दर पीढ़ी
एक धरोहर बन हर जन के ह्रदय में बसेगा ।
© nehaa
जिसने था सुरों को छेड़ा
शब्दों में मिठास भर
जिसने था दिलों को जोड़ा
आज वो नायिका हमें
अलविदा कह गई है
सरगम की सेज पर
वो अपनी आवाज़ में अमर हो गई है
वो अपनी आवाज़ में अमर हो गई है ।
बात करते हैं, उस शख्सियत की
जिनकी आवाज ही उनकी पहचान है
शब्दों के माध्यम से ,
जो बनी दिल की जुबान हैं
फिर बात मोहब्बत की हो
या दर्द और जोश की हो
लता जी की आवाज़ ही तो थी
जो शब्दों में एहसास के
मोती पिरोया करती थी
हृदय को सोच से, जोड़ दिया करती है।
" तीन मिनट की जादूगरनी " कह
जिन्हें उस्ताद बड़े गुलाम साहब ने था
संबोधित किया,
स्वरों की सम्राज्ञी कह,
राष्ट्र ने था सम्मानित किया ,
उनके जीवन में संघर्षो की
अपनी ही एक कहानी थी
छोटी उम्र से ही उन्होंने
देखी कई परेशानी थी
पर वो कहती थी हमेशा
" हमें जीवन में कभी हार ना माननी चाहिए
कर्म करते रहना चाहिए
एक ना एक दिन हम सफल हो ही जाएंगे " ।
संगीत उनकी पूजा थी ,
स्वरों से जुड़ी उनकी तपस्या थी
तभी किरदार और उसके भाव को
वो शब्दों में बाँध, सुरों में सांधती थी
कि भाषा भी बदली , दशक भी बदले
पर आवाज़ की खनक ना बदली
मानो उनकी नजरों ने जो समझा
वो दूसरों की नजरों से जा मिला ।
दास्ताँ हिन्द की ,
शहीदों के शहादत की
जो उनकी आवाज़ ने बयां करी
वो ना किताबें कह पाई
ना गाथाएं सुना पाई
पर उनकी आवाज ने , हर बार कही
जो दिलों तक पहुँची
जिसने ना सुनी कारगिल की कहानी
ना जानी आज़ादी के लिए, की गई कुर्बानी
उसकी आँखों में भी पानी भर गई
भारत देश को विदेशों तक
मशहूर कर गई ।
अब जब लता जी,
एक नए सफर पर बढ़ चली हैं
कहना बस इतना है
कि आप रहो ना रहो
एक आशीष था ,आपकी आवाज़ में
जो हमारे बीच में हमेशा अमर रहेगा
पीढ़ी दर पीढ़ी
एक धरोहर बन हर जन के ह्रदय में बसेगा ।
© nehaa