शीशा तोड़ कर, मेरा नाम लिखा हथेली पर।
जो किए नहीं, वो कर डाला।
हाथों में ज़ख्म भर डाला।
सांसों में बस मेरी यादें है।
कुछ कहने की उनकी फरियादें है।
मै जिसे प्यार किया, वो थी चारु बाला।
शीशा तोड़ के, हथेली पे मेरा नाम लिख डाला।
मुझे पाने की उनकी सोच थी।
हर वक्त मुझसे प्यार करने की सोच थी।
रातों में भी उनके लिए सबेरा था।
वो सपनों में भी, मुझे घेरा था।
मुझे आने - जाने के लिए, वो खोल दिया अपने दिल के ताला।
शीशा तोड़ के...........................।
वो रह ना सकी तन्हा मेरे बिन।
रातों में चैन से सोयी नहीं, सबेरा किया वो तारे...
हाथों में ज़ख्म भर डाला।
सांसों में बस मेरी यादें है।
कुछ कहने की उनकी फरियादें है।
मै जिसे प्यार किया, वो थी चारु बाला।
शीशा तोड़ के, हथेली पे मेरा नाम लिख डाला।
मुझे पाने की उनकी सोच थी।
हर वक्त मुझसे प्यार करने की सोच थी।
रातों में भी उनके लिए सबेरा था।
वो सपनों में भी, मुझे घेरा था।
मुझे आने - जाने के लिए, वो खोल दिया अपने दिल के ताला।
शीशा तोड़ के...........................।
वो रह ना सकी तन्हा मेरे बिन।
रातों में चैन से सोयी नहीं, सबेरा किया वो तारे...