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हवा में फंस गये...❤️❤️✍️✍️(गजल)
हम किसी की नशीं निगाह में फंस गये
जाने कितने झूठी अदा में फंस गये

आज तक न निकल पाये वीराने से हम
न जाने हम कैसी गुफा में फंस गये

मोहब्बत हमने करके देख ली 'सत्या'
और फिर हम भी इसी गुनाह में फंस गये

घर से तो निकल आये हम हिम्मत करके
थोड़ी दूर चले ही थे कि राह में फंस गये

वो अपने स्कूल की फीस कहां से भरता
सारे पैसे तो मां की दवा में फंस गये

बेवफा लोग जिंदगी जी रहे हैं सरेआम
सच्चे आशिक बेवजह वफ़ा में फंस गये

वो माया जाल से कभी छूटे ही नहीं
जो खुदा को छोड़ कर जहां में फंस गये

कड़क रही बिजलियां तूफां है जोरों पर
खुले परिन्दे अब तो हवा में फंस गये



© Shaayar Satya