कुसुम
अंग अंग से हर दृष्टी पर अलंकार हूँ
हूँ निर्वसन मैं तो भी तो श्रृंगार हूँ
बंधू क्यों बाह्य दल-पुंज के चीर से मैं
कुसुम देह से ही तो मैं मकरंदकार हूँ
© Ninad
हूँ निर्वसन मैं तो भी तो श्रृंगार हूँ
बंधू क्यों बाह्य दल-पुंज के चीर से मैं
कुसुम देह से ही तो मैं मकरंदकार हूँ
© Ninad