...

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मिल गये जब से गुरूवर
मिल गये आप जब से हमे हे गुरुवर
चल पड़ा है फिर से ये जीवन सफ़र।
मुरझा रहे थे सब जब भँवर और कमल
आप से मिलकर जीवन हुआ ये सफल।
विघ्न बाधाओं ने जब भी रोका है रास्ता
आप तो दिखे हमे तब तब देते आसरा।

मिल गये आप जब से हमे हे गुरुवर
चल पड़ा है फिर से ये जीवन सफ़र।
साधना पथ निरंतर भँवर जब लगा
संबल सदा हमको आप का ही मिला।
शून्य से शिखर तक पहुँचे मेरी संवेदना
दिव्य अनुदान वरदान सब आपने दिया।

मिल गये आप जब से हमे हे गुरुवर
चल पड़ा है फिर से ये जीवन सफ़र।
शिष्य आपके है ग़र हमसे त्रुटि हो गई
क्रोध में सद्गुणों की ग़र झोपड़ी ढह गई।
उपासना, साधना, आराधना की क्लिष्टता
दोष परिमार्जन की कर देना नूतन व्यवस्था।
मिल गये आप जब से हमे हे गुरुवर
चल पड़ा है फिर से ये जीवन सफ़र।

© Praveen Yadav @SoulWhispers