तुम्हें याद तो होगा
वो दिसम्बर का ही कोई हफ्ता था,
शायद दूसरा हफ्ता कि जिसमें हम
तुम से रूबरू हुए थे...
पहले पहले हम झगडे फिर हँस ने लगे और
फिर जुड़े ऐसे जैसे उम्र भर न जायेगे छोड़,
लेकिन तुम ऐसा कोई वादा कभी नहीं किए.
वादा तुम्हारा सब जो किया तुम ने भी...
शायद दूसरा हफ्ता कि जिसमें हम
तुम से रूबरू हुए थे...
पहले पहले हम झगडे फिर हँस ने लगे और
फिर जुड़े ऐसे जैसे उम्र भर न जायेगे छोड़,
लेकिन तुम ऐसा कोई वादा कभी नहीं किए.
वादा तुम्हारा सब जो किया तुम ने भी...