...

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तुम्हें याद तो होगा
वो दिसम्बर का ही कोई हफ्ता था,

शायद दूसरा हफ्ता कि जिसमें हम

तुम से रूबरू हुए थे...

पहले पहले हम झगडे फिर हँस ने लगे और

फिर जुड़े ऐसे जैसे उम्र भर न जायेगे छोड़,

लेकिन तुम ऐसा कोई वादा कभी नहीं किए.

वादा तुम्हारा सब जो किया तुम ने भी कहां निभाया?

छोड़ कर जाना कैसे प्यार हो सकता है, attachment या affection??

तुम दरअसल selfish हो, जो तब तक साथ रहे जब तक तुम्हें अच्छा लगा

या तुम्हारे मन का होता रहा...

Conditions लगा कर प्यार कौन करते हैं, तुम्हारी फिर भी हम ने सब conditions accept की लेकिन, तुम

मेरी एक भी condition नहीं accept किए, क्यों?

बस साथ हमेशा देने का ही तो कहे थे न..?

मुझे धोखा दिए बदनाम किए और numaish का aarop भी लगा दिए...


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