हम देखते रहे
अपनी बर्बादी का आलम देखते ही रह गए।
खुद ही अपने आसुओं की धार में हम बह गए।
नींव थी मजबूत अपनी पर नही मालूम क्यों,
इक हवा के झोंके पर से पल में हम ढह गए।
...
खुद ही अपने आसुओं की धार में हम बह गए।
नींव थी मजबूत अपनी पर नही मालूम क्यों,
इक हवा के झोंके पर से पल में हम ढह गए।
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