*प्रेम की अभिलाषा*
"प्रेम की अभिलाषा"
तुम मुझे निष्पाप रहने दो,,
भले ही मुझे अभिशाप रहने दो,,
"प्रेम" किसी और से और "विवाह" किसी और से,,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मुझे तड़पता किताबों में गुलाब नहीं बनना,,
मुझे जलता प्रेम में आफताब नहीं बनाना,,
मुझे नहीं सीखनी चांद सी बेबसी,,
मुझे सुलगकर इश्क में ख़ाक नहीं बनाना।
मैं खुशबू हूं फूलों की,मुझे उसी की आस रहने दो,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मुझे प्रेम को तड़पती नदी नहीं बनना,
समंदर के लिए पूरी जिंदगी नहीं बहना,
मैं शीत लहर गर्मियों की ही ठीक हूं
मुझे उजाड़ता हुआ तूफ़ान नहीं बनाना
मैं हवा का झोंका हूं मुझे...
तुम मुझे निष्पाप रहने दो,,
भले ही मुझे अभिशाप रहने दो,,
"प्रेम" किसी और से और "विवाह" किसी और से,,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मुझे तड़पता किताबों में गुलाब नहीं बनना,,
मुझे जलता प्रेम में आफताब नहीं बनाना,,
मुझे नहीं सीखनी चांद सी बेबसी,,
मुझे सुलगकर इश्क में ख़ाक नहीं बनाना।
मैं खुशबू हूं फूलों की,मुझे उसी की आस रहने दो,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मुझे प्रेम को तड़पती नदी नहीं बनना,
समंदर के लिए पूरी जिंदगी नहीं बहना,
मैं शीत लहर गर्मियों की ही ठीक हूं
मुझे उजाड़ता हुआ तूफ़ान नहीं बनाना
मैं हवा का झोंका हूं मुझे...