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*प्रेम की अभिलाषा*
"प्रेम की अभिलाषा"
तुम मुझे निष्पाप रहने दो,,
भले ही मुझे अभिशाप रहने दो,,
"प्रेम" किसी और से और "विवाह" किसी और से,,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मुझे तड़पता किताबों में गुलाब नहीं बनना,,
मुझे जलता प्रेम में आफताब नहीं बनाना,,
मुझे नहीं सीखनी चांद सी बेबसी,,
मुझे सुलगकर इश्क में ख़ाक नहीं बनाना।
मैं खुशबू हूं फूलों की,मुझे उसी की आस रहने दो,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मुझे प्रेम को तड़पती नदी नहीं बनना,
समंदर के लिए पूरी जिंदगी नहीं बहना,
मैं शीत लहर गर्मियों की ही ठीक हूं
मुझे उजाड़ता हुआ तूफ़ान नहीं बनाना
मैं हवा का झोंका हूं मुझे मंद बहने दो
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मैं राम की विवशता भरा कोई प्रेम नहीं चाहता,
मैं कृष्ण सा वियोग नहीं चाहता,,
नहीं चाहता कि छल करके मिले मुझे प्रेम,
पर खुद के लिए मैं विष्णु सा संजोग नहीं चाहता,
खुश हूं गौरा-भोला का प्रेम बनकर....
मुझमें मां पार्वती सा इंतजार रहने दो,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मुझे मंदोदरी सा पत्नित्व नहीं चाहिए,,
मुझे सुलोचना सा सतीत्व नहीं चाहिए,,
नहीं चाहिए मुझे सीता सा राजरानी का सुख..
मुझे पांचाली सा कोई अपनीत्व नहीं चाहिए।
मैं खुश हूं उर्मिला बनके,,मुझे रुक्मणि का हृदयविश्राम रहने दो,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम- विवाह" ही रहने दो।
****************************
वैसे आप सबके लिए प्रेम क्या है और विवाह क्या है,या यूं पूछूं कि प्रेम-विवाह के क्या मायने हैं, हृदय में तीनों को अलग अलग दोहराकर मन में स्मृति में प्रथम चित्रण क्या उभरता है..??
आकांक्षा मगन "सरस्वती"
#मेरेकान्हा_और_मैं
#आकांक्षामगनसरस्वती
© All Rights Reserved
तुम मुझे निष्पाप रहने दो,,
भले ही मुझे अभिशाप रहने दो,,
"प्रेम" किसी और से और "विवाह" किसी और से,,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मुझे तड़पता किताबों में गुलाब नहीं बनना,,
मुझे जलता प्रेम में आफताब नहीं बनाना,,
मुझे नहीं सीखनी चांद सी बेबसी,,
मुझे सुलगकर इश्क में ख़ाक नहीं बनाना।
मैं खुशबू हूं फूलों की,मुझे उसी की आस रहने दो,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मुझे प्रेम को तड़पती नदी नहीं बनना,
समंदर के लिए पूरी जिंदगी नहीं बहना,
मैं शीत लहर गर्मियों की ही ठीक हूं
मुझे उजाड़ता हुआ तूफ़ान नहीं बनाना
मैं हवा का झोंका हूं मुझे मंद बहने दो
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मैं राम की विवशता भरा कोई प्रेम नहीं चाहता,
मैं कृष्ण सा वियोग नहीं चाहता,,
नहीं चाहता कि छल करके मिले मुझे प्रेम,
पर खुद के लिए मैं विष्णु सा संजोग नहीं चाहता,
खुश हूं गौरा-भोला का प्रेम बनकर....
मुझमें मां पार्वती सा इंतजार रहने दो,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम-विवाह" ही रहने दो।
मुझे मंदोदरी सा पत्नित्व नहीं चाहिए,,
मुझे सुलोचना सा सतीत्व नहीं चाहिए,,
नहीं चाहिए मुझे सीता सा राजरानी का सुख..
मुझे पांचाली सा कोई अपनीत्व नहीं चाहिए।
मैं खुश हूं उर्मिला बनके,,मुझे रुक्मणि का हृदयविश्राम रहने दो,
मुझे राधाकृष्ण सा "प्रेम- विवाह" ही रहने दो।
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वैसे आप सबके लिए प्रेम क्या है और विवाह क्या है,या यूं पूछूं कि प्रेम-विवाह के क्या मायने हैं, हृदय में तीनों को अलग अलग दोहराकर मन में स्मृति में प्रथम चित्रण क्या उभरता है..??
आकांक्षा मगन "सरस्वती"
#मेरेकान्हा_और_मैं
#आकांक्षामगनसरस्वती
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