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पुरुष तो दिल बसे!
आपने ग़लत नाम रचे, पुरुष तो दिल बसे
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पुरुष बड़ा ही नहीं
बहुत विशाल भी है
वो अगर ख़राब है
बहुत कमाल भी है
दमन को बदनाम वो तो
ख़ुद बारबार हलाल भी है
पुरुष को भी दर्द है
भक्षक है तो, बेहाल भी है
जिसने जी जलाए सजनी के
वो बड़ा ही मनहूस है
प्रेम क्यों नहीं जीता वो
कैसे बनता वो खड़ूस है
रति क्रीड़ा में वो, ना नहीं कहते
भले चाहे जबतब सुन लेते
प्रकृति कहती आनंद बराबर
फिर भी वो, अहसान ले लेते
बलात्कारी, शोषक, हत्यारा
मनहूस या कोई खड़ूस
इंसान तो कहा नहीं जा सकता
हा हा हा, तुमने है कहा पुरुष!
-विभूति
© All Rights Reserved
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पुरुष बड़ा ही नहीं
बहुत विशाल भी है
वो अगर ख़राब है
बहुत कमाल भी है
दमन को बदनाम वो तो
ख़ुद बारबार हलाल भी है
पुरुष को भी दर्द है
भक्षक है तो, बेहाल भी है
जिसने जी जलाए सजनी के
वो बड़ा ही मनहूस है
प्रेम क्यों नहीं जीता वो
कैसे बनता वो खड़ूस है
रति क्रीड़ा में वो, ना नहीं कहते
भले चाहे जबतब सुन लेते
प्रकृति कहती आनंद बराबर
फिर भी वो, अहसान ले लेते
बलात्कारी, शोषक, हत्यारा
मनहूस या कोई खड़ूस
इंसान तो कहा नहीं जा सकता
हा हा हा, तुमने है कहा पुरुष!
-विभूति
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