...

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प्रेम माला
आज मैने फिर उसे
अपने शब्दो मैं पिरोने की कोशिश की
पर वो मेरी कविता की
माला जिसमे मेरी अथाह भावना के मोती है
पिरोया ही नी जाती


इक माला ही नी बनी जा रही मुझसे
इतने शब्दो का बाहुलय होने के बाबजूद
मैं इक ऐसा कवि
जिसकी अंतरात्मा
इस माला के रूप में
अपने प्रेम का साक्षी है


© nishi