...

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तुम जो खामोश हो..
तुम जो खामोश हो,
तो तुम्हारी नजरे कहे..
खामोश तो सिर्फ जुबां है,
नजरों से पूछो जो कहानी बयां करे..
अब केह भी दो की बात क्या है?
क्यों जुबान खामोश और
नजरों में लफ्ज के कतार है
जुबां ने तो कुछ ना कहा,
हमने नजरों से ही पढ़ लिया..
दिल के गहरे घाव को,
तुम्हारी खामोशी से ही समझ लिया।

© CR


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