कोई अर्थ नहीं
कोई अर्थ नहीं ऐसे जीवन का,
जहां हंसी की फुहार न हो।
कोई अर्थ नहीं ऐसे जीवन का,
जहां साथी के मन में प्यार न हो।
कोई अर्थ नहीं ऐसे जीवन का,
जहां बंदा उलझा रहे सिर्फ काम में और
हंसी खुशी का माहौल न हो।
कोई अर्थ नहीं ऐसी शिक्षा का,
जब किसी को सम्मान न दें।
कोई अर्थ नहीं ऐसे वृक्ष का,
जो किसी को फल व छाया न दें।
कोई अर्थ नहीं ऐसे घर का,
जहां दीवार तो हो, पर परिवार न हो।...
जहां हंसी की फुहार न हो।
कोई अर्थ नहीं ऐसे जीवन का,
जहां साथी के मन में प्यार न हो।
कोई अर्थ नहीं ऐसे जीवन का,
जहां बंदा उलझा रहे सिर्फ काम में और
हंसी खुशी का माहौल न हो।
कोई अर्थ नहीं ऐसी शिक्षा का,
जब किसी को सम्मान न दें।
कोई अर्थ नहीं ऐसे वृक्ष का,
जो किसी को फल व छाया न दें।
कोई अर्थ नहीं ऐसे घर का,
जहां दीवार तो हो, पर परिवार न हो।...