...

11 views

मेरे होने न होने से...
लानत है मुझे
अपनी कमजोर कलम,
बेअसर कविताओं पर।

न जाने कितने वर्ष
मैंने लूटा दियें।
पर क्या मिला मुझे???
थोड़े सांस खरीद,
किसी को दे सकूं
इस लायक भी नहीं मैं।

मेरी 'महान सोच'
क्या करू मैं इनका???
कोई मतलब नहीं इनका
सब के सब बेतुके हैं!

मेरे शब्द!
कितने बेकार हैं!
...इतने बेकार
कि किसी के मृत्यु को भी
तनिक आसान न बना सकतीं।

घूंट-घूंट कर मर रहें लोग,
और मैं उनके किसी काम का नहीं।

हाय! लानत है मुझे मेरे होने पर।

© prabhat