इच्छाएं
अपनी इच्छाओं
और दूसरों की उम्मीदों के बीच
समन्वय बनाते
उम्र गुजरती है।
अक्सर हीं
इच्छाओं का
उम्मीदों के आगे
गला घोंट दिया जाता है।
यह एक गलती है।
ऐसा कर के भी
दूसरों की उम्मीदों पर
पूर्णतः खरा नहीं उतरा जा सकता
बल्कि घूंट-घूंट कर मरी इच्छाएं
ताउम्र निराशा बन
वापस आती रहती हैं।
© prabhat
और दूसरों की उम्मीदों के बीच
समन्वय बनाते
उम्र गुजरती है।
अक्सर हीं
इच्छाओं का
उम्मीदों के आगे
गला घोंट दिया जाता है।
यह एक गलती है।
ऐसा कर के भी
दूसरों की उम्मीदों पर
पूर्णतः खरा नहीं उतरा जा सकता
बल्कि घूंट-घूंट कर मरी इच्छाएं
ताउम्र निराशा बन
वापस आती रहती हैं।
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