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*** तेरा मिलना ना मिलना हुआ ***
*** ग़ज़ल ***
*** तेरा मिलना ना मिलना हुआ ***

" यूं मिलना तेरा उफ़ मिलना ना हुआ ,
सबेहयात में तेरा खिलना ना खिलना हुआ ,
रोक लु थाम लु जरा खुद को ,
उस तरह तेरा मिलना ना मिलना हुआ ,
जिक्र हैं ख़ामोशी में लिपते हुये ,
यूं तेरे बेरूखी का अंदाज ना हुआ ,
अंदाजा जरा हैं ये इल्म भी अब हो चला ,
तेरे ख्वाहिशों का कुछ अब इरादा ना हुआ ,
ख्वाहिशों के शहर में तेरी मौजूदगी बदस्तूर हैं ,
बस यूं ही तेरे मिलने का खास कुछ इरादा ना हुआ ,
सबेअंजाम यूं मिलना तेरा उफ़ मिलना ना हुआ ,
हयाते इश्क तेरी मौजूदगी नदारत ताउम्र रहेगी ,
तेरे तसव्वुर के एहसासों को किस कदर जिया जाये ,
यूं मिलना तेरा उफ़ मिलना ना हुआ ,
मेरे तहरीर पे तेरी मौजूदगी का ताउम्र रहेगी ,
यूं तसव्वुर के एहसासों को तेरा हु-ब-हु सामना ना हुआ . "

--- रबिन्द्र राम


© Rabindra Ram