...

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पिता है प्रेम वृक्ष
पिता बेटी का तो रिश्ता है गहरा,
ये सिर्फ प्रेम से भरा,
इस जोड़ी से पावन ये धरा,
पिता वृक्ष की तरह रहता खड़ा,
हमेशा सुखदाई लगे इसकी छाया,
कितना सुन्दर ये रिश्ता पाया,
हमेशा सिर पर रहें पिता का साया.....

पिता प्रेम दिखाता नहीं,
करता हैं,
कभी वो बहुत कठोर लगता है,
लेकिन पूरा दुख बटोरे वो रखता है,
कभी कुछ नहीं कहता है,
बस कभी गुस्सा हो जाता हैं,
फिर वो खुद को कोसता है,
मन ही मन रोता है,
चिंता में खुद को खोता है,
दुख का पहाड़ वो उठाता है,
कौन कहता है वो कठोर है?,
बेटी के लिए तो वो उसका चकोर हैं,

भले ही वो दुख में डूबा रहे,
कभी कुछ ना कहें,
हमेशा बेटी को सुख में डूबोये,
जब बेटी सोये तो वो,
उसको देख मुस्काये....

उसका दिल पत्थर नहीं,
प्रेम का समंदर है...

Written by _ VANSHIKA CHAUBEY
#writco_poem_challenge