तलाश
ना चाह रही अब मंज़िल की
ना ही ख़्वाबों की प्यास कोई
ना डर बाक़ी कुछ खोने का
ना पाने की अब आस कोई
ना ही अंदाज़ा दूरी का
ना पते की है दरकार कोई
ना चाहूं साहिल से मिलना
ना ही मांगू पतवार कोई
साथ है इक ख़ुद का ही अब
अपनेपन का एहसास कोई
बाक़ी है ख़ुद से मुलाक़ात
ना ही है और तलाश कोई
© आद्या
ना ही ख़्वाबों की प्यास कोई
ना डर बाक़ी कुछ खोने का
ना पाने की अब आस कोई
ना ही अंदाज़ा दूरी का
ना पते की है दरकार कोई
ना चाहूं साहिल से मिलना
ना ही मांगू पतवार कोई
साथ है इक ख़ुद का ही अब
अपनेपन का एहसास कोई
बाक़ी है ख़ुद से मुलाक़ात
ना ही है और तलाश कोई
© आद्या