बाती के दीपक
रूठा है जमाना तुमसे
या तुम जमाने से रूठे हो
रहते हो खामोश हरपल
पर इन दो नयनों से सब कहते हो
आहिस्ता आहिस्ता तुम सबर...
या तुम जमाने से रूठे हो
रहते हो खामोश हरपल
पर इन दो नयनों से सब कहते हो
आहिस्ता आहिस्ता तुम सबर...