...

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सुख
राहे चलत पगडण्डी के, आपन धुन मे रहनी
भूल-पराइल जग के पीड़ा,
आव दिखल न ताव।
मुहिया तकनी जे एगो भेटाइल बटोहिया,
पुछलस, "सुख मिली कौने गांव?"

– अमेयविक्रम तिवारी







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