सुख
राहे चलत पगडण्डी के, आपन धुन मे रहनी
भूल-पराइल जग के पीड़ा,
आव दिखल न ताव।
मुहिया तकनी जे एगो भेटाइल बटोहिया,
पुछलस, "सुख मिली कौने गांव?"
– अमेयविक्रम तिवारी
© amey_zing
भूल-पराइल जग के पीड़ा,
आव दिखल न ताव।
मुहिया तकनी जे एगो भेटाइल बटोहिया,
पुछलस, "सुख मिली कौने गांव?"
– अमेयविक्रम तिवारी
© amey_zing