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नई उम्मीदों का आसामान
      नई उम्मीदों का आसामान
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तू उठकर चल तु उठकर चल
नये पंख नई डोर लगा कर चल।
जो जाने वाले थे वे तो चले गए
जो अभि हैं उन्हें तुझे आज बचाना हैं।
नई उम्मीदों का आसमान तुझे छूना हैं।

सूरज की हर किरण रोशनी देकर जाती हैं।
हर सुबह जिंदगी के नए हौसलें बढ़ाती हैं।
कल जो गुजरा आज उसे तु याद ना कर
आज के तेरे चहरे की "हँसी" बर्बाद ना कर।

कोरोना बिमारी ने हमे सब सीखा दिया।
इंन्सानियत के आगे सबको झुका दीया।
धन,दौलत,पैसों की कोई क़ीमत नहीं
हर "जिंदगी के सास"से बढ़कर दुनिया
मे कोई अनमोल चीज़ नहीं

इतनी ऊँचाई इतनी ऊँचाई तक तुझे उड़ना हैं।
कभी पीछे या नीचे तुझे झुकना ना पडे।
काटो भरे चट्टानों को चीरकर निकलना हैं।
ऐसी राह ऐसी मंज़िल तुझे बनाना हैं।
नई उम्मीदों का आसमान तुझे छूना हैं।

कल का सब भूलकर नई शुरुवात करनी हैं
अपनी उंगलियों को मुट्ठी बनाकर हर क़दम
पर हर मोड़ पर हिमत का दांव लगाना हैं।

आज माहौल दर्द भरा हैं पर कल उम्मीदों भरा होगा।
उंगलिया उठाने वाले होते हैं उनसे हमे सिखना हैं।

हर इंम्तिहान के घड़ी में पास होना हैं।
अपने सपनों के पंखों के उम्मीद से भरना हैं

नई उम्मीद का आसमान तुझे छूना हैं।
नई उम्मीद का आसमान तुझे छूना हैं।


लेखक : सूरज तायडे