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पसंद का हमसफर😔💔
हंसती उछलती खिलखिलाती हुई घूमती थी कभी आज वह बंद कमरे में बैठकर रो रही है क्या इतना गलत है खुद की पसंद का हमसफर चुनना यह कहकर वह खुद को कोश रही है आज समाज रिश्तेदार के साथ-साथ वह घर वालों के तानों से भी जूझ रही है कितनी और सुनने पड़ेंगे ताने यह सवाल वह खुद से पूछ रही है क्या है मेरे इस सवाल का जवाब किसी के पास यह सोचते हुए वह बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही है
© वंदना लोधी
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