...

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लीला
ईश्वर भी इनका किवाड़ खटखावे
गरीब इनका नाम खेलावे ,
चाहे नाम कोई भी ले लो
हाथ उनके दंभ हो जावे ।

भक्त के भक्त खेहलावे
श्री रघुनाथ नाम खहलावे
जगत में इनके नाम की प्रीति है
राम नाम से पत्थर तेर जावे .....
राम राम कहे तो अभिवादन हो जाए
राम राम राम राम राम कहे तो सत्संग हो जाए ।।


अपनो बुद्धि काम न करे
सुकून झूंढे जग में ।
अपनो बुद्धि बेच खेलाई
औरो में प्रीत है लगाई
मानुष की अकल है आई
जब उसने ईश्वर में प्रीत लगाई ।।