सैनिकों तुम्हें सलाम
सत्रह साल की उम्र में,
सबकुछ छोड़ जो चल दिया
देश की सरहद की ओर
एक वजह लेकर चल दिया
जिसके लिए जी जान लगा कर भागा था,
आज वो काम जी जान लगा कर करता है।
एक समय नहीं था मालूम लक्ष्य जिसे,
आज देश की रक्षा करने को ठान लिया।
सालों से नहीं हुई भेंट अपनों से
जिनसे कभी मिला नहीं,
उनकी रक्षा को लाश बिछाएगा।
ज़िन्दगी को जिसने अपनी,
यूं ही वतन के नाम किया।
देश; जिसके लिए जवानी के साथ,
सारी ज़िन्दगी वारने को सोच लिया।
घर परिवार सब रिश्ते नातों को अलग किया,
जिया अभी तक और...
सबकुछ छोड़ जो चल दिया
देश की सरहद की ओर
एक वजह लेकर चल दिया
जिसके लिए जी जान लगा कर भागा था,
आज वो काम जी जान लगा कर करता है।
एक समय नहीं था मालूम लक्ष्य जिसे,
आज देश की रक्षा करने को ठान लिया।
सालों से नहीं हुई भेंट अपनों से
जिनसे कभी मिला नहीं,
उनकी रक्षा को लाश बिछाएगा।
ज़िन्दगी को जिसने अपनी,
यूं ही वतन के नाम किया।
देश; जिसके लिए जवानी के साथ,
सारी ज़िन्दगी वारने को सोच लिया।
घर परिवार सब रिश्ते नातों को अलग किया,
जिया अभी तक और...