पूरक
मैं उसका पूरक बादल सा
वो मेरी पूरक पानी सी,
मैं उससे हूँ जुड़ा हुआ सा
वो मुझसे है जुड़ी हुई सी,
मैं उसका पूरक गुलशन सा
वो मेरी पूरक फूलों सी,
मैं जब रहता रातों सा
वो रहती है चंदा सी,
मैं उसका पूरक पन्नों सा
वो मेरी पूरक पुस्तक सी,
मैं जब रहता सूरज सा
वो रहती है किरणों सी,
मैं उसका पूरक वायु सा
वो मेरी पूरक सांसों सी,
मैं रंग पा गया कान्हा सा
वो रंग पा गयी राधा सी,
मैं उससे हूँ जुड़ा हुआ सा
वो मुझसे है जुड़ी हुई सी I
© सोमनाथ यादव
वो मेरी पूरक पानी सी,
मैं उससे हूँ जुड़ा हुआ सा
वो मुझसे है जुड़ी हुई सी,
मैं उसका पूरक गुलशन सा
वो मेरी पूरक फूलों सी,
मैं जब रहता रातों सा
वो रहती है चंदा सी,
मैं उसका पूरक पन्नों सा
वो मेरी पूरक पुस्तक सी,
मैं जब रहता सूरज सा
वो रहती है किरणों सी,
मैं उसका पूरक वायु सा
वो मेरी पूरक सांसों सी,
मैं रंग पा गया कान्हा सा
वो रंग पा गयी राधा सी,
मैं उससे हूँ जुड़ा हुआ सा
वो मुझसे है जुड़ी हुई सी I
© सोमनाथ यादव