शब्द सार
// #शब्द_सार //
विचारों के पंछी ऊँचे उड़ते खुले नील गगन,
पर क़लम नहीं भूलती अपनी मर्यादा डगर;
क़ोरे काग़ज पर भावना सागर जाता उकर,
शब्दों का स्वर करता मधुर - मृदुल सफ़र।
शब्द बनाते- गाते गीत शब्द लुभाते मनमीत,
शब्द उत्पन्न करें प्रीत मिलाते मनभावन मीत;
शब्द छिपे अनंत भेद और दर्शाते विनय खेद,
उजागर करते इतिहास भेद गढते पुराण वेद।
अक्षर...
विचारों के पंछी ऊँचे उड़ते खुले नील गगन,
पर क़लम नहीं भूलती अपनी मर्यादा डगर;
क़ोरे काग़ज पर भावना सागर जाता उकर,
शब्दों का स्वर करता मधुर - मृदुल सफ़र।
शब्द बनाते- गाते गीत शब्द लुभाते मनमीत,
शब्द उत्पन्न करें प्रीत मिलाते मनभावन मीत;
शब्द छिपे अनंत भेद और दर्शाते विनय खेद,
उजागर करते इतिहास भेद गढते पुराण वेद।
अक्षर...