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डर ना जाओ यूं हार से....
डर ना जाओ यूं हार से
कि कोशिशों में ही छुपी मंजिल कहीं
टकराए लहरों से पतवार जब बार-बार
किनारा मिलता है तब कहीं

तन वो, तन नहीं
थक कर जो चूर हो जाता नहीं
सांसे वो, सांसे नहीं
प्रयत्न की खुशबू जिनसे आती नहीं

डर ना जाओ यूं हार से
कि सृजनात्मकता कभी मरती नहीं
ढूंढो सीपी, सागर में बार-बार
कि मोती यूं ही किसी को मिलता नहीं

मन वो, मन नहीं
अंगारों में जो जला नहीं
विवेक वो, विवेक नहीं
आंधियों में जो डटा नहीं

डर ना जाओ यूं हार से
कि बहारें छाएंगी एक दिन यहीं
सितारों से चमकेगी जमीं
हौसला अगर तेरा कभी थमा नहीं

धैर्य वो, धैर्य नहीं
हिमालय जैसा जो टिका नहीं
लक्ष्य वो, लक्ष्य नहीं
तुझको लोहा जो बना सका नहीं

डर ना जाओ यूं हार से
कि सच होगी जिंदगी सपनों की उड़ान से.....
© Ashutosh Kumar Upadhyay