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सादगी उसके इश्क़ की......
खानाबदोश से हो गए हैं हम
जबसे उसने इस दिल को
अपना ठिकाना बना लिया है
गुरूर उसके चेहरे पे
निगाहों के पेंच लड़ाकर जीतने का, हाए
बड़ा गज़ब ढाता है
गिला नहीं है कोई हमको हार जाने का
उसकी सादगी पे तो
जी जान लुटाने को जी चाहता है
मैं तो सिर्फ आम इंसा हूं
इस जहां की
उसके सदके में तो
सारी कायनात सर झुकाना चाहती है।
© Meraki $
जबसे उसने इस दिल को
अपना ठिकाना बना लिया है
गुरूर उसके चेहरे पे
निगाहों के पेंच लड़ाकर जीतने का, हाए
बड़ा गज़ब ढाता है
गिला नहीं है कोई हमको हार जाने का
उसकी सादगी पे तो
जी जान लुटाने को जी चाहता है
मैं तो सिर्फ आम इंसा हूं
इस जहां की
उसके सदके में तो
सारी कायनात सर झुकाना चाहती है।
© Meraki $
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