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परिश्रम
नींदो ने तो दम तोड दिया पर सपने अभी मचल रहे हैं
लम्बा है रास्ता मगर हम टूटी चप्पल पहनकर चल रहे हैं
जल रहे हैं जलने वाले हमको छलने वाले छल रहे हैं
सफलता के सीधे रस्ते पर हम गिर गिर कर सम्भल रहे हैं
विजय को पचा सकें जो साचे हम उन में तपकर ढल रहे हैं
परिश्रम के प्रज्ज्वलित अंगारों से राहो के पर्वत पिघल रहे हैं
© अर्पण सेन
लम्बा है रास्ता मगर हम टूटी चप्पल पहनकर चल रहे हैं
जल रहे हैं जलने वाले हमको छलने वाले छल रहे हैं
सफलता के सीधे रस्ते पर हम गिर गिर कर सम्भल रहे हैं
विजय को पचा सकें जो साचे हम उन में तपकर ढल रहे हैं
परिश्रम के प्रज्ज्वलित अंगारों से राहो के पर्वत पिघल रहे हैं
© अर्पण सेन
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