...

1 views

ज्ञान की फुसफुसाहट
शोर गुल से भरी जिंदगी,
किसको किसकी है परवाह?
हर कोई यूं व्यस्त पड़ा है ,
रिश्तों की अब किसको चाह ?

पड़ जाओ जो जब तुम तन्हा ,
ना सुन पाओ किसी की आहट,
खो जाओ अपनी दुनियां में ,
सुन लो ज्ञान की फुसफुसाहट,

कोई बांट सके ना इसको ,
ना कोई रिश्ता ,ना कोई यारी,
निकलो अब तुम तमस घिरा है,
ज्ञान की लौ की करो तैयारी,

तब होगा जगमग ये जीवन,
चमक उठेगी किस्मत सारी,
भाते ना थे जिसको तनिक तुम,
करना चाहे तुमसे यारी ,

बहुत सहे होंगे दुख तुमने ,
छट गई काली बदरा सारी,
चमके होंगे कुछ जुगनू से ,
चमकोगे तुम भी आई बारी,

कभी चंदा ,कभी सूरज बनकर,
अब चमकते रहना तुम ,
कभी चमक, कभी गायब होना
जुगनू से न बनना तुम....

जुगनू से न बनना तुम...
© Munni Joshi