तुम नारी हो …
तुम बसंत हो , तुम शीत हो ,
तुम ही जेठ की तपती धूप हो ।
तुम लक्ष्मी हो , तुम सरस्वती हो ,
तुम ही महाकाली, दुर्गा सत्यचड़ी हो ।
तुम प्रेम हो , तुम माया हो ,
तुम ही स्नेह और मातृत्व की छाया हो ।
...
तुम ही जेठ की तपती धूप हो ।
तुम लक्ष्मी हो , तुम सरस्वती हो ,
तुम ही महाकाली, दुर्गा सत्यचड़ी हो ।
तुम प्रेम हो , तुम माया हो ,
तुम ही स्नेह और मातृत्व की छाया हो ।
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