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सिद्धान्त
कागज ने बुन डाला इतिहास।
देखो
को ओ आलोचना वादियों ,
मै जरुरत हूं जिन्दगी भी हू।
मगर कोई आवश्यकता की वस्तु नहीं,
और ना ही हूं आराम की सइया,
मैं भूख हूं,
मैं पूजा हू,
मै जगह जगह अलग हूं।
मेरी उड़ान अनन्त है।
समय भी हू।
मनु की चाल भी मैं।
जिन्दगी का लेखक भी मैं ही हूं।
और मनु का हर किरदार बोल रहा है।
मै कौन हूं।
हां।
मै कर्मो का फल हूं।
Note-Who fight without noise under the rule of time, life,luck by Work whose absence always be remarkable.
#Lovefruit
© All Rights Reserved
देखो
को ओ आलोचना वादियों ,
मै जरुरत हूं जिन्दगी भी हू।
मगर कोई आवश्यकता की वस्तु नहीं,
और ना ही हूं आराम की सइया,
मैं भूख हूं,
मैं पूजा हू,
मै जगह जगह अलग हूं।
मेरी उड़ान अनन्त है।
समय भी हू।
मनु की चाल भी मैं।
जिन्दगी का लेखक भी मैं ही हूं।
और मनु का हर किरदार बोल रहा है।
मै कौन हूं।
हां।
मै कर्मो का फल हूं।
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