...

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चोट देखकर मेरे तन पर
मेरी हर गलती पर वो मुझको टोक लगाती है
मेरे कहने से पहले मेरी हर मुश्किल सुलझाती है
चोट देखकर मेरे तन पर मां मेरी रोटी है मुरझाती है

वैसे तो है उसको काम हजारों करने को
पर सबसे आगे वो मुझको लाती है
सोती नही खुद तो रात—रात भर
पर मुझको लोरी गाके सुलाती है
चोट देखकर मेरे तन पर मां मेरी रो रोकर मलहम लगाती है

दुनिया के आगे वो खुद को सख्त दिखाती है
पर मेरे झूठे आंसु पर पिघल जाती है
भूखी रहकर खुद वो मुझको खाना खिलाती है
हस्ते हस्ते आंखों से यूं ही आंसु टपकाती है
चोट देखकर मेरे तन पर मां मेरी रो रोकर मलहम लगाती है

कहती है वैसे तो आसमान मैं हजारों तारे है
जो भगवान ने इस चंदा पर बारे है
पर मेरे आगे चांद भी फीका ये मुझको बतलाती है
चोट देखकर मेरे तन पर मां मेरी रो रोकर मलहम लगाती हैं