...

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मैं और मेरी माँ 💔
वक्त एक वो भी था,
जब माँ मेरी,
हाथों से खिलाती थी,
लाड लडाती थी,
गोद में रखाकर सिर,
मुझे सुलाती थी।
वक्त एक वो भी था,
जब माँ मेरी,
खातिर मेरे,दुनिया से लड़ जाती थी,
वक्त ने कुछ यूं बदला करवट यारों,
माँ तब निहारते थकती नहीं थी,
माँ अब देखना पसंद नहीं करती,
माँ तब हर वक्त साथ थी,
माँ अब पल-पल खिलाफ है,