...

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Tujhe Mehsus Karna
यूँ तो कई बार
ढ़लते सूरज की रौशनी
समेटी है मैनें खुद में...
पर आज एक अंधेरा दूर हुआ
जब आज तुम्हारे स्पर्श की
संवेदना महसूस हुई...

बन के एक लौ
जगमगा उठा तेरा ख़्याल दिल में...
मानों सदियों पुराने दर्द की चट्टाने
चूर चूर हो रहीं हो मुझमें
एक रेत बनकर गुबार उड़ रहा हो
तुम्हारी यादों की बरसात से
सब कुछ शान्त हो गया.....

यादों के फूलो के कुछ बीज
हमारे प्रेम के
आज मानों फिर अंकुरित हो उठे हो जैसे...
फिर एक जगमगाते पूर्णिमा की चाँदनी आगोश में लिए पूरे चाँद से मुझमें बसने लगे हो....

तुम्हारी शीतल रौशनी में नहाकर
मानो मन की अंकुरित बेल पल्लवित होकर
पुष्प से लद गई हो
महक उठा है रोम रोम तेरी महक से...

Bless Evening 🌺🌸🪻🌹