...

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मैं लिख सकूं मां बाप की कुर्बानियां ऐसी मेरे कलम में ताकत नहीं
क्या लिखूं मैं उनके लिए
जिन्होंने हमें बनाया.....
खुद जले मेहनत के अंगारों में
और हमें चमकाया..
जब आई मुसीबत हम पर
जमाने से लड़के हमें बचाया..
जी.. हां वह मां-बाप ही है
जिन्होंने हमें बनाया..
कोई खिलौना अगर मैंने मांगा
तो मेहनत मजदूरी करके मुझे दिलाया
जी हां वह मेरे बाबा ही है जिन्होंने मुझे बनाया
गर्मी की तपिश पड़ी अगर मेरे ऊपर
अपने आंचल की ठंडी छांव में मुझे सुलाया..
जी हां वह मेरी माही है जिन्होंने अपनी भूख छिपाकर मुझे खाना खिलाया....
मैं बयां कर पाऊं उनकी कुर्बानियों को
ऐसी ताकत नहीं मेरे कलम में..
बस मां बाप ही वह हस्ती है ....
जिन्होंने हमें बनाया 2