...

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**सफर उस अजनबी के साथ**
सफर जब शुरू हुआ फिर से उस अजनबी के साथ,
ना जाने क्यों इतना टूटने के बाद,
फिर से भरोसा जमा उस अजनबी के साथ,
किरदार तो बदला मेरा शायद ,
वह नहीं रही जो हुआ करती थी किसी और के साथ,
मगर उससे भी ज्यादा हो गई एक अजनबी के साथ,
दिल करता है बाहों में जिंदगी बीत जाए उस अजनबी के साथ,
वह एक ठंडी हवा का झोंका है उस गरम सी लू के साथ,
वह पागल है किसी पागल सी लड़की के साथ ,
वो दिल के बहुत करीब है उसकी बकबक के साथ,
हां मुझे बेहद प्यार है उस अजनबी के साथ,
चाहत है टूट कर बिखरने की मोहब्बत में उस अजनबी के साथ ,
हां मुझे खुद से ज्यादा भरोसा है उस अजनबी की इरादों के साथ,
बहना आता है मुझे उसके प्यार के साथ,
जिंदगी यूं ही प्यार मोहब्बत से बीत जाएगी उस पागल के साथ,
कहता है जाना नहीं कभी दूर मुझसे तू मेरा सब कुछ है ,
मेरी भावना ऐसी है तेरे साथ ,
जैसे परिवार का हो साथ,
सपने में भी मत सोचना मेरा ज्‍यादा भला ,
कहीं मुझे छोड़ कर चली जाए कहे तुम खुश रहो किसी और के साथ,
साथ उसे सिर्फ मेरा ही चाहिए जिंदगी भर ,
जैसे किसी तोते को रास आता है मैना का साथ,
मैं उसकी पहली मोहब्बत तो नहीं,
यकीन है पहली मोहब्बत सी शिद्दत है उसे मेरे साथ।
© Rudravi