~ सफ़र-ए-ज़िन्दगी ~
ये सफ़र-ए-ज़िन्दगी में
ऐसा गम का तराना होगा
अब मुझे चोट खाकर भी
यहाँ हर पल मुस्कुराना होगा,
हाँ! माना मैं आज तन्हा
और अकेले चल रही हूं
कभी एक दिन मेरे पीछे भी
ये पूरा जमाना होगा,
ना किसी की चाहत है
और ना किसी के जाने का गम
अब...
ऐसा गम का तराना होगा
अब मुझे चोट खाकर भी
यहाँ हर पल मुस्कुराना होगा,
हाँ! माना मैं आज तन्हा
और अकेले चल रही हूं
कभी एक दिन मेरे पीछे भी
ये पूरा जमाना होगा,
ना किसी की चाहत है
और ना किसी के जाने का गम
अब...