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मध्यम वर्गी लोग
तनख्वाह आने से पहले ही
उसका हिसाब कर लेते हैं
बाकी जो बच कर घर आये
बचत के गुल्लक में डाल देते हैं
महीन के गिन्ती में अव्वल है
1 और 30 का फर्क पहचानते हैं
हम मध्यम वर्गी लोग है
किस्तो में जिंदगी जीना जानते हैं

हम वही बच्चे हैं जो,
दुकान में पड़ी बारनियों को
बड़ी ईप्सा से निहारते हैं
इनके मां बाप को फिक्र नहीं
कि ना जाने बेटा कुछ मांग ले कहीं
हम बखुबी पहचानते हैं
अपने वर्ग को
हम मध्यम वर्ग के लोग हैं
अपनी चादर की अयाम जानते हैं

पुरानी किताबो से प्रेम
छोटी पतलून का उधाड़ कर हेम
एक के कर टुकड़े चार
उसमें से ही मन भर लेते हैं यार
हमने ऐसे ही जीना सीखा है
हम मध्यम वर्गी लोग हैं
जरूरतों में ख्वाहिशों के भेद पहचानते हैं

हमारी होली दिवाली पे
नये कपड़ो का रिवाज नहीं
ये हमारे उसूल,
इस वर्ग की मजबूरी है
हम शुरू से ही बचत करते हैं
उस बचत की देन
अपने कल की चिंता में
अपना आज जीना भूल जाते हैं
हम मध्यम वर्ग के लोग हैं
ऐसे जीने का आज ज़रा अफ़सोस है